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30 Dec 2024 · 1 min read

नफ़रतों को न तुम हवा देना।

नफ़रतों को न तुम हवा देना।
दीप उल्फ़त के मत बुझा देना।

आदमी की इस आदमीयत को,
इस जहां से न तुम मिटा देना।

अम्न से ज़िन्दगी ये जीने दो,
आग पानी में मत लगा देना।

ज़िन्दगी ‘रब’ ने तुमको बख़्शी है,
नेक किरदार से सजा देना ।

कोशिशें मत करो हराने की,
हमको आसां नहीं हरा देना।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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