नफरत
नफरतों ने कितनो के ईमान को है लूटा
किसी का मकान किसी का शहर है छूटा
नफरतों के बाजार में जमीर कहाँ है टिका
बेईमानो का साथ देकर अब इंसान है टूटा
अगर नफरत करोगे तो होगे तुम बदनाम
रोज मिलेगा तुम्हे एक आतंक का पैगाम
अगर थोडी सी भी बची तुझमें इनसानियत
छोड़ो इस नफरत को, करो प्यार से सलाम
अभिषेक शर्मा