नफरत
नफ़रत की आग वो दिल मे कुछ ऐसे जलाए बैठे है ..
जैसे दुआ के बदले बद्दुआ की मन्नत मनाये बैठे है..!
कई बार देखा खुद के सर को झुकाकर उनके सामने ,
मगर आलम ये है, कि वो हर बार खंजर चलाये बैठे है ..!!
नफ़रत की आग वो दिल मे कुछ ऐसे जलाए बैठे है ..
जैसे दुआ के बदले बद्दुआ की मन्नत मनाये बैठे है..!
कई बार देखा खुद के सर को झुकाकर उनके सामने ,
मगर आलम ये है, कि वो हर बार खंजर चलाये बैठे है ..!!