नफरत है मुझे
ऐसी नफ़रत करो
दुनिया वालो से…
के कद्रे-मुहब्बत
हो….जाये
घबरा के रह जाये
जलने वाले…
कुछ उनको भी तो
..इबरत……हो जाये
जो करते हैं..
दावे खरेखरे
उनकी भी..जमानत
हो जाए…
सब कुछ रख
दो अब एक तरफ.
बस खुली..
अदावत
हो जाए
क्यू अरमा अरमान में मारते हो
लोगो..
हम भी इंसा
वो भी इंसा..
अल्लाहकरे
हम लोगो को बस अल्लाह से
रघबत हो जाए….
जब उसकी रज़ा
पर राजी हो..
फ़िर किस् बात
की हसरत हो जाए…
ए मेरे खुदा सुन
अब दिल की दुआ..
हम लोगो पर हो तेरा
करम और
खास इनायत हो जाए……✍✍✍✍✍✍…शबीनाज