नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको
नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको
कुचला है किसी ने पांव तले हमको
नदी के किनारे कपड़े धोने आती थी
मिलती थी रोज वो गाँव तले हमको
मुहब्बतों का सौदागर बहुत बड़ा है
दबाके रखता है वो भाव तले हमको
हम बहकर बहुत दूर निकल चुके हैं
ढूंढ रहा है नाखुदा नाव तले हमको
खेल की बारीकियाँ जानते थे वो भी
फंसा दिया उन्होंने दांव तले हमको
मारूफ आलम