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14 Oct 2021 · 1 min read

नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको

नफरत से पेड़ों की छांव तले हमको
कुचला है किसी ने पांव तले हमको

नदी के किनारे कपड़े धोने आती थी
मिलती थी रोज वो गाँव तले हमको

मुहब्बतों का सौदागर बहुत बड़ा है
दबाके रखता है वो भाव तले हमको

हम बहकर बहुत दूर निकल चुके हैं
ढूंढ रहा है नाखुदा नाव तले हमको

खेल की बारीकियाँ जानते थे वो भी
फंसा दिया उन्होंने दांव तले हमको
मारूफ आलम

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