नफरत के पैगाम !
मंदिर-मस्जिद बांटते,
नफरत के पैगाम !
खड़े कोर्ट में बेवज़ह,
अल्ला और’ श्री राम !!
हमने भी कब बेवजह,
खींचा उससे हाथ !
मन से था वो और का,
रहता मेरे साथ !!
मंदिर-मस्जिद बांटते,
नफरत के पैगाम !
खड़े कोर्ट में बेवज़ह,
अल्ला और’ श्री राम !!
हमने भी कब बेवजह,
खींचा उससे हाथ !
मन से था वो और का,
रहता मेरे साथ !!