नफरत की आग न पालो यारों
हवा दे दे कर गलत फहमियों को
नफरत की आग न पालो यारों…
धर्म की आड़ ले ले कर
मुल्क पर खाक न डालो यारों…
फ़ना की हैं जानें
तो ये ज़मीं पाई…
लगे बरसों, बड़ी मुश्किल से
आज़ादी की रुत आई…
खोए हैं लाल माओं ने
ये ना भूलो यारों…
वीरों की कब्रों और चिताओं पर
न टोपियाँ उछालो यारों…
हवा दे दे कर गलत फहमियों को
नफरत की आग न पालो यारों…
नये सपने उगा
चमन में फूल खिलने दो…
आए होली या हो ईद
गले मिलने दो…
जख्म जो भर रहे
नाखूनों से न कुरेदो यारों…
देश अपने की
सरहदें तो न भेदो यारों…
हवा दे दे कर गलत फहमियों को
नफरत की आग न पालो यारों…
करें तैयार नई पौध को
इस तरह से…
अमन के फूल खिलें
महके शांति का केसर…
हो के मतलब के वशीभूत
विरासत न बिगाड़ों यारों…
करके सर्वस्व निछावर
आज़ादी को संभालो यारों…
हवा दे दे कर गलत फहमियों को
नफरत की आग न पालो यारों…
मुल्क पर खाक न डालो यारों…