नफरत का बीज बोना आसान है
आग लग जायेगी
तूफ़ान उठ जायेंगे
दीवारे उठ जायेगी
क़त्ल हो जायेंगे
रिश्ते तार तार हो जायेंगे
पहचान बन्द हो जायेगी
आँखें फिर जायेंगी
जलजला उठ जाएगा
सब खत्म हो जाएगा
काश अगर एक बीज प्यार का बो दोगे
तो नगर प्यार से ही भर जाएगा
धरती कृष्ण मय हो जायेगी
सतयुग का आभास हो जाएगा
दिलो कि मिलावट खत्म हो जाएगी
इंसान कि इंसानियत जाग जाएगी
लोगो का डर रफूचक्कर हो जाएगा
हर तरफ बस जन्नत ही जन्नत होगी
दूरियन नफरतों कि मिट जाएगी
काश,,,,,वो बीज कौन डालेगा, यह कल्पना
कब अपना रूप लेगी , यह सोच एक हो जाये
तो “अजीत” सारे संसार कि दुनिया स्वर्ग हो जायेगी
अजीत कुमार तलवार
मेरठ