*नन्हे पैरों चलती मुनिया, अच्छी लगती है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
नन्हे पैरों चलती मुनिया, अच्छी लगती है (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
नन्हे पैरों चलती मुनिया, अच्छी लगती है
झन-झन-झन बजती पैजनिया, अच्छी लगती है
2
गरम पकौड़ी भाती बारिश के मौसम में ज्यादा
चटनी पीस-पीस कर धनिया, अच्छी लगती है
3
सूरज-तारे-चॉंद बनाए, किसने यह प्यारे
रंगबिरंगी जगमग दुनिया, अच्छी लगती है
4
खेल-खिलौने यों तो मन को सब बहलाते हैं
मगर पालने की झुनझुनिया, अच्छी लगती है
5
दो रोटी जो देती है, सुबह-शाम रोजाना
हमको अपनी एक दुकनिया, अच्छी लगती है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451