नन्हें मुन्ने बच्चे
नन्हें मुन्ने चंचल निश्छल,
गोल मटोल ये प्यारे बच्चे।
मात-पिता की आँख के तारे,
शिक्षक की उम्मीद ये बच्चे॥
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द्वेष दोष दुःख दर्द से परे ये,
धरा उपवन के फूल हैं सच्चे।
मनमोहक रोचक मुस्कान लिए,
उल्लास उमंग भरे सागर मन में॥
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बिन बच्चों के सूनी धरा,
नीरस निर्जीव वीरान भरा।
इन्हीं के दम से खिलता मधुबन,
रेत बंर्जर भी लगती हरा॥
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देवता इनके रट से हारे,
कोमलांगों से घड़े ये कच्चे।
आज बस्तों का बोझ हैं ढ़ोते,
कल देश का बोझ उठाएंगे ये बच्चे॥
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✍️✍️✍️✍️✍️ by :
? Mahesh Ojha
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