“नन्ही सी बेटी”
नन्ही सी बेटी बड़ी हो गई
अब तो पैरों पे अपने खड़ी हो गई
थाम बाबुल की ऊँगली जो थी चल रही
अपने ससुराल की वो परी हो गई
जिसकी माँ थी सहेली पिता मित्र थे
वो, अपने पीहर की बीती कड़ी हो गई
छूटा परिवार छूटी हैं सखियाँ सभी
अब वो अपनी ननद की सखी हो गई
मीठे झगड़े जो करती थी भाई से वो
बन के पत्नी पति संग खड़ी हो गई
अब तो नन्ही सी बेटी बड़ी हो गई।।
Santosh Tiwari
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