नन्ही सदस्य।
घर में एक नन्हीं सदस्य आई मेरे भाई की बेटी 5 नवंबर 2018 को उस का आगमन हुआ इस दुनिया में सभी बहुत खुश थे,मैं भी और मेरी माता जी की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था, मेरी माता जी हमेशा से चाहती थीं कि उनकी एक बेटी हो लेकिन बेटी का सुख अब उन्हें पोती के रूप में मिलेगा 26 साल बाद हमारे खानदान में बेटी पैदा हुई।
मैं कुछ ज़्यादा नहीं कह सकता,बस सोच सकता हूं कि बुनियादी तहज़ीब सिखाने के अलावा उसे कोई भी और परंपरावादी या सही शब्दों में कहूं तो कोई दकियानूसी मान्यता ना सिखाई जाए उसे मंगलवार या बृहस्पतिवार के फेर में ना उलझाया जाए उसे उसका विश्वास उसकी अपनी मान्यताओं के अनुसार बनाने दिया जाए।
बाकी उसके माता-पिता बेहतर समझ पाएंगे लेकिन मान्यताओं के आधार पर मन को मारना समाज के हिसाब से खुद को ढालना, कम से कम अब आने वाली पीढ़ी तो इस से अछुती रहे बस यही उसे मेरा आशीर्वाद है सदा के लिए।
आओ तुम्हारा स्वागत है परिवार में,एक खुशहाल जीवन जीना,समय के साथ खुद पर विश्वास करना सीखना,जैसे-जैसे बड़ी होती जाओगी मुझसे भी परिचित हो जाओगी फ़िलहाल बस इतना ही कि मैं तुम्हारे पिता का बड़ा भाई हूं,मैं यही कामना करता हूं कि खेलकूद मौज-मस्ती और शिक्षा से भरपूर बचपन हो तुम्हारा और हां शरारतें जारी रखना और मुझे “काका” कह के बुलाना।
-अम्बर श्रीवास्तव।