नन्हीं सी प्यारी कोकिला
दिन मंगल आषाढ़ का, शुक्ल पक्ष की दूज।
घर लक्ष्मी आगमन से, हुई खुशी की गूंज।।1
नल संवत्सर ग्रीष्म ऋतु, उतरायण का काल।
दो सहस्त्र अस्सी हुआ, विक्रम संवत साल।।2
शुभ दिन है नवरात्रि का, पाया मां का रूप।
बारहवें ध्रुव योग में, सुंदर सा स्वरूप ।।3
चंद्र है मिथुन राशि में, नखत पुनर्वसु आज।
अति शुभ कौलव करण में, खुशियों का आगाज़।।4
नाम रखा है कोकिला, ज्योतिष के अनुसार।
भांजी आई भाग्य में, आनंदित परिवार।।5
नन्ही गुड़िया को करूं, जी भर कर मैं प्यार।
लेकर अपनी गोद में, खुशी मिलती अपार।।6