नदी
नदी
*****
नदी
नदी के किनारे
देते उसे सहारे
समेटे रखते हैं
नदी
नदी का जल
बहता अविरल
जीवनदाता है
नदी
नदी की भँवर
डुबो देगी अगर
तुम नहीं सम्भले
नदी
नदी की लहर
चलती निरंतर
कहती है चलते रहो
नदी
नदी की धार
करती संहार
जब क्रुद्ध होती है
नदी
नदी खिलखिलाती
चलती बल खाती
दृश्य मनोरम है
नदी
नदी की डगर
नदी का सफर
अंतहीन है
नदी
नदी का प्रदूषित जल
मैला सा आँचल
मन दुखी है
नदी
नदी का समर्पण
सागर को अर्पण
प्रेम का संदेश है
नदी
नदी का संरक्षण
स्वच्छता का पालन
हमारा कर्तव्य है
नदी
नदी का दामन
राख हुआ ये तन
मोक्ष दिलाती है
16-01-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद