नदी किनारे छोटा सा गांव हो
नदी किनारे छोटा सा गांव हो
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नदी किनारे छोटा सा गांव हो
पेड़ पौधों की हरी भरी छांव हो
गांव में छोटा सा घर संसार हो
घर में बसता संपन्न परिवार हो
परिवार फलता फूलता हँसता हो
प्रत्येक रिश्ता वहाँ पर बसता हो
वहाँ पर कोई भी ना तंगहाली हो
गरीबी बीमारी से ना बदहाली हो
चहुंओर खुशी और खुशहाली हो
कार्यों में व्यस्त हाली – पाली हो
घर में चाहे जो रूखा- सूखा हो
पर बिन खाए सोता ना भूखा हो
चाहे घर में ही पुराना सामान हो
बड़े बूढों का आदर – सत्कार हो
जहाँ संस्कृति संस्कार बसते हो
पर अपनेपन के खुलते रस्ते हो
मान -मर्यादित पूजनीय नारी हो
मुखिया की चलती सरदारी हो
प्रकृति की हरी-भरी हरियाली हो
फल-फूलों की भरी फुलवारी हो
शुद्ध हवा पानी का ही अर्जन हो
प्रदूषण ,अशुद्धता का वर्जन हो
सूर्योदय का सीधा वहाँ प्रवेश हो
परमपिता परमात्मा दरवेश हो
सूर्यास्त लालिमा भरी संध्या हो
प्रतिदिन आराधना आराध्या हो
सुखविंद्र का ये सुपना सच्चा हो
खुशहाल,समृद्ध बच्चा बच्चा हो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)