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26 Apr 2021 · 1 min read

नदियां

वो देखो जा रही है ये नदी
कल कल की आवाज करके
समुद्र से मिलने जा रही है देखो
अपने साथ लेकर मिट्टी भरके।।

नदियों को तो मां मानते है हम
हमेशा अपनी रफ्तार से झूमती है
बहुत सा जीवन पलता है इसमें
नदियां तो पत्थरों को भी चूमती है।।

मिट जायेगा उसका अस्तित्व
जानते हुए ये भी वो जा रही है
तेज़ी से पहाड़ों को चीरते हुए
अपनी शक्ति हमें दिखा रही है।।

जब होता है प्रकृति से खिलवाड़
विकराल रूप दिखाती है हमें
मोड़ कर रास्ते बस्तियों की ओर
विनाश की झलक से चेताती है हमें

मैदानों में पहुंचकर ये तो
अब शांत हो गई है देखो
लगता है दुखी हो रही है
छोड़कर पहाड़ों को देखो।।

पहाड़ों में बिजली बनाती है
रोशन करती है पूरे देश को
मैदानों में करके सिंचाई
अनाज देती है पूरे देश को।।

जीवन की पालनहार है
इसको तो समंदर से प्यार है
जा रही है उसमे समाने
यही तो उसका व्यवहार है

Language: Hindi
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