नदियां बहती जा रही थी
नदियां बहती जा रही थी
कोई आगे, कोई पीछे
कोई उबड़-खाबड़, पथरीली,
पहाड़ी राहों से
बेचैनी थी, तड़प थी,
अपने प्रियतम सागर
से मिलकर तृप्त
हो जाने की।
नदियां बहती जा रही थी
कोई आगे, कोई पीछे
कोई उबड़-खाबड़, पथरीली,
पहाड़ी राहों से
बेचैनी थी, तड़प थी,
अपने प्रियतम सागर
से मिलकर तृप्त
हो जाने की।