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1 Aug 2024 · 1 min read

नदियां बहती जा रही थी

नदियां बहती जा रही थी
कोई आगे, कोई पीछे
कोई उबड़-खाबड़, पथरीली,
पहाड़ी राहों से
बेचैनी थी, तड़प थी,
अपने प्रियतम सागर
से मिलकर तृप्त
हो जाने की।

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