नता गोता
नता गोता
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रचनाकार,, डॉ विजय कुमार कन्नौजे छत्तीसगढ़ रायपुर आरंग अमोदी
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नता गोता रिस्तादारी ल
मरत ले निभावन ।
गांव बसेरू,दाई दीदी के
गोड़ घलो पखारन।।
का दिन आगे संगवारी
कलजुग है करावत हे।
सग बहिनी बेटी घलो ल
एक नइ पहिचानत हे।।
गांव घर बेटी माई ला
देवय जी सब सम्मान ।
सग भाई बहिनी कस
राखय गांव भर मान।।
मिल जुल के परिवार बन
दुख सुख मा देवय साथ।
का समय आगे संगवारी
अब बेटा चइनहय न बाप।।
तलब सितार आशिकी खजाना
रंग रंग के नशा हर आगे।
नान नान छोकरा पिला मन
दारू गांजा घलो मा समागे।।
बलात्कार छेड़छाड़ मारपीट
अब बुद्धि हा हजागे।
अड़हा जमाना के सुघ्घर मया
अब नरवा में बोहागे।।
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