“नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा”
नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा।
देश बदलना है तो हम सब को मिल कर चलना होगा।
आवाहन कर देश बुला रहा,
सागर की लहरों में भी जोश उमड़ रहा,
रग- रग में ज्वार उठा,
हे नाविक! पतवार घुमा।
नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा।
देश बदलना है तो हम सब को मिल कर चलना होगा।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
तूफानों का जलवा है,
वीरत्व छोड़ युवा देखो,
विलास में जकड़ा है,
रग -रग में मृत्यु जगा,
हे यौवन! तलवार उठा।
नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा।
देश बदलना है तो हम सब को मिल कर चलना होगा।
पक्ष क्या करेगा, विपक्ष क्या करेगा,
इसकी चिन्ता छोड़ो,
हमको क्या करना है, तुमको क्या करना है,
इसकी चर्चा छेड़ो,
घर -घर में कर्मयोग जगा,
हे योगी! मशाल जला।
नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा।
देश बदलना है तो हम सब को मिल कर चलना होगा।
©निधि…