नज्म।
बेशर्म हुकूमत की पनाहों के परिंदे,
ये जुर्म की दुनिया में पले बहसी दरिंदे,
हर वक्त तेरा टूटा सा अरमान जलेगा,
तेरे लिए चौराहे पे फंदा भी सजेगा।
मैं दर्द की दुनिया के चरागों पे पला हूं।
कलकत्ता की घटना पे मैं सौ बार मरा हूं।।
बेशर्म हुकूमत की पनाहों के परिंदे,
ये जुर्म की दुनिया में पले बहसी दरिंदे,
हर वक्त तेरा टूटा सा अरमान जलेगा,
तेरे लिए चौराहे पे फंदा भी सजेगा।
मैं दर्द की दुनिया के चरागों पे पला हूं।
कलकत्ता की घटना पे मैं सौ बार मरा हूं।।