नज़्म
एक नज़म …चाँद …🌙
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चाँद तो चाँद है …🌙.
सारा आसमान उसी का है …
अब कोई खुला आंगन छोड़….
ए .सी . रूम में छिप जाये !
तो कैसे उसके पास में जाये चाँद !!🌙
नाजुक हो गया इंसान …
गर्मी बरदाश्त नहीं ….
सर्दी बरदाश्त नहीं ….
भागता फिरता है खुद अपने आप से !
कैसे मिले फिर उसको उसका अपना चाँद !!🌙
मौसम से ताल्लुक नहीं …
रिश्तों से ताल्लुक नहीं …
चार पैसे फेंके पत्नी के पास …
सुविधा चाहिए फ़ाइव स्टार …
पत्नी का चेहरा चाहे ,जैसे पूनम वाला चाँद !!🌙
बड़े बड़े घर आंगन में ..
जब रहते थे इंसान …
जानवर भी होते थे तब,जंगल की पहचान ..
चैन से वो सोते ,करते थे अभिमान ..
छीन लिया जंगल का टुकड़ा ..
कितना ज़ालिम है इंसान ..
चाहे रोज़ वही फिर चाँद !!🌙
‘नील’ गगन में रहने वाला ,पास में आये कैसे चाँद !!🌙
ज़मीं पे कैसे आये चाँद !!🌙
पानी के अंदर हमने , हिलता देखा चाँद !!🌙
सूरज की किरनों से , खूब चमकता प्यारा चाँद !!🌙
मंजिलें तय करता रहता ..
फिर कुछ न कहता चाँद !!🌙
रोज़ मेरे नज़दीक ही रहता ,मेरा प्यारा प्यारा चाँद !!🌙
✍नील रूहानी ..01/06/22…🌙
💖(नीलोफर खान )….🌙