नज़रों में समाया हुस्न,
नज़रों में समाया हुस्न,
वक्त से बेपरवाह,
वैसा ही बना रहता है ।
मौसमों के तक़ाज़े हैं,
ज़मीन की रंगतें,
हर साल बदलती रहती हैं ।
पर बादलों की चिल्मन में,
हर उम्र में सरकता चाँद ,
दिलकश,वैसा ही बना रहता है !
नरेन्द्र ।