नज़रे कोई भी हमसे __ गजल/ गीतिका
नजरें कोई भी हमसे मिलाता नहीं।
खड़े जो हुए हैं सच के बाजार में।।
सोचते हैं करें हम कुछ अपने भी लिए।
झूठ बोलेंगे कैसे मगर हम व्यापार में।।
वे कहने लगे गुमसुम से काहे को रहने लगे।
खबर नहीं उन्हे खोए है हम किसी के प्यार में।।
राजेश व्यास अनुनय