नज़रे इनायत
कब उठेगा पर्दा उनके रुख ए रोशन से,
हम उनकी नज़रें इनायत को तड़प रहे हैं।
कभी तो मौत आए और उनका दीदार हो ,
हम उनसे एक मुलाकात को तरस रहे हैं।
कब उठेगा पर्दा उनके रुख ए रोशन से,
हम उनकी नज़रें इनायत को तड़प रहे हैं।
कभी तो मौत आए और उनका दीदार हो ,
हम उनसे एक मुलाकात को तरस रहे हैं।