नजर
?✒️जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की घर और कार्यालय की हर चीज कुछ सिखाती है ,जैसे छत्त सिखाती है की अपना गोल बड़ा रखो -घडी सिखाती है की आपका हर सेकंड गतिमान और कीमती है जो लौट कर फिर नहीं आता -पंखा -कूलर सिखाते हैं की हमेशा दिमाग को ठंडा रखें /शांत रखें -कैलेंडर कहता है की हमेशा नई जानकारियों -तकनीक से अपडेट रहे -खिड़की सिखाती है की सकारात्मकता का स्वागत करें और नकारात्मकता को बाहर करें …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की समय समय पर शीशे के सामने बैठ कर अपनी अंतरात्मा को साक्षी बना कर अपने आप को टटोलें की जीवन में किन किन कारणों (अत्यधिक नींद -आलस्य -क्रोध -काम को टालने की प्रवर्ति -लालच -समय की बर्बादी -किसी लक्ष्य का ना होना-कान का कच्चा होना -सही गलत में भेद नहीं कर पाना आदि )की वजह से आपने असफलता का कड़वा स्वाद चखा …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की दुनिया आपको किन निगाहों से या कैसे देखती है ये गंभीर नहीं है ,जरुरी ये है की आप अपने आप को कैसे और कितना आंकते हैं और किस नजर से देखते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की अमूमन हर इंसान घर -रिश्ते -शहर -नौकरी -कर्मचारी -दोस्त -दुश्मन बदलता है पर अपने आप को बदलने की जहमत नहीं उठाता .. !
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क ? है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
?सुप्रभात ?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
?जयपुर -राजस्थान ?