नजर से मिली नजर….
मिले हैं यूं ही अजनबी की तरह
फिर भी दिल के रास्ते
अरमानों की डोली सज गई
नजर से मिली नजर
और नजर बदल गई ।
आँह सी निकली है
देखो किसी ने सुना तो नहीं
फ़ासले है कितने अपने दरमियाँ
फिर भी तबीयत मचल गई ।
नजर से मिली नजर और नजर……
रुख़सती करो ना अभी
अभी तो महफिल सजी
कैफ़ियत देख तुम्हारी
हमारी तो दुनिया बदल गई ।
नजर से मिली नजर…..
ख़ैरियत तो पूछिए
ऐसी भी क्या मसखरी
मदहोश छोड़े जा रहे हो हमें
ऐसी भी क्या नाराज़गी।
नजर से मिली नजर और नजर बदल गई….
हरमिंदर कौर अमरोहा