नजर भी आ रहा है अब
तिरा मासूम सा चेहरा नजर भी आ रहा है अब
तेरी फितरत परख़ने का हुनर भी आ रहा है अब
तेरे वादे , तेरी कसमें , तेरी महफिल , तेरे नगमें
तेरा खुद पे इतराना नजर भी आ रहा है अब
बिना तेरे नहीं जीना फकत मरना ही था बेहतर
इरादा तो किया पहले जहर भी आ रहा है अब
न मैं कोई सितारा था न दुनियाँ का सहारा था
मुझे मशहूर होना था हुनर भी आ रहा है अब
भटकना ही मेरी फितरत में शामिल है तो क्या करता
मेरी मंजिल को पाने का सफर भी आ रहा है अब
अरे “योगी” तू उलझा क्यों सफर को हमसफर करले
बहुत गमगींन रस्तों का सफर भी आ रहा है अब
रचनाकार-योगेन्द्र योगी
मोबाइल नंबर – 7607551907 ?