Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2024 · 3 min read

*नजर के चश्मे के साथ ऑंखों का गठबंधन (हास्य व्यंग्य)*

नजर के चश्मे के साथ ऑंखों का गठबंधन (हास्य व्यंग्य)
_________________________
जब से हमने नजर का चश्मा पहनना शुरू किया है, बड़ा अटपटा महसूस हो रहा है। वह जमाना और था, जब हम अकेले ऑंखों के दम पर सब कुछ देखते थे। ऑंखें खोलीं और देखना शुरू। कोई रुकावट नहीं। किसी के समर्थन की आवश्यकता नहीं थी।

अब ऑंखें तभी देखना शुरु करती हैं, जब नजर के चश्मा का समर्थन मिलता है। कुछ भी पढ़ना हो या दूर का भी देखना हो तो पहले नजर के चश्मे के साथ मीटिंग करनी पड़ती है। नजर का चश्मा दो कानों और एक नाक पर खुद टिका हुआ है। अगर नाक और कान को भगवान न करें, कुछ हो जाए तो नजर का चश्मा टिक ही नहीं सकता। हर समय कानों पर बोझ रहता है।
नाक पर नजर के चश्मे का निशान बन जाता है। मेरे ख्याल से अगर चार-पांच साल नजर का चश्मा किसी ने नाक पर टिका लिया, तो दूसरा व्यक्ति नाक देखकर ही पहचान लेगा कि इसकी ऑंखें नजर के चश्मे का समर्थन लेकर ही चल रही थीं ।एक बार नजर का चश्मा चढ़ गया तो उतरना बहुत मुश्किल है। आदमी जोड़-तोड़ कोशिश तो करता है कि किसी तरह अपनी आंखों की दशा सुधार ले और नजर के चश्मे से मुक्ति प्राप्त कर ले। लेकिन व्यवहारिक रूप से यह संभव नहीं रहता। अगर नजर का चश्मा नहीं पहना जाए तो भी जेब में रखकर चलना पड़ता है। कोई बारीक लिखा हुआ अगर पढ़ना है, तो नजर के चश्मे के बगैर नहीं पढ़ा जा सकता। कहने का मतलब यह है कि चीजों की बारीकियों में उतरने के लिए नजर का चश्मा जरूरी हो जाता है।

जो बात बिना नजर का चश्मा लगाए हुए ऑंखों में होती है, वह नजर का चश्मा लगाने के बाद नहीं रह पाती। हर समय आंखों और परिदृश्य के बीच में चश्मा अपनी उपस्थिति दर्ज करता रहता है। यह तो भगवान की बड़ी कृपा है कि नजर के चश्मे के समर्थन से आंखें देख पा रही हैं। वरना अगर आंखों की स्थिति ज्यादा कमजोर होती तो फिर नजर का चश्मा भी कुछ नहीं कर पाता।

नजर के चश्मे कई प्रकार के होते हैं। कुछ लोगों को नजदीक का देखने के लिए एक चश्मा लगाना पड़ता है। दूर का देखने के लिए दूसरा चश्मा लगाना पड़ता है। कुछ लोग एक ही चश्मे में नीचे की तरफ ‘कट’ लगाकर पढ़ने का और इसी चश्मे से आंख ऊपर करके दूर तक देखने का इंतजाम कर लेते हैं। आजकल ‘प्रगतिशील चश्मे’ भी आ गए हैं। इन चश्मों से अगर आप नजदीक से देखेंगे तो भी साफ-साफ दिख जाएगा और दूर का देखेंगे तो भी दिख जाएगा। प्रगतिशील चश्मा इस समय सबसे अच्छा माना जाता है। बस इतना जरूर है कि शुरू में महीने-दो महीने यह लगाने वाले व्यक्ति के लिए परेशानी पैदा करता है। फिर धीरे-धीरे ऑंखें अभ्यस्त हो जाती हैं और जिस प्रकार से हम बिना चश्मे के परिदृश्य को देखते थे, ठीक उसी प्रकार हम सहज रूप से चश्मा लगाकर चीजों को देखते रहते हैं।

मैंने तो खैर अभी नया-नया चश्मा बनवाया है। सच पूछो तो पहन कर चलने में भी असहज महसूस करता हूॅं। पता नहीं लोग क्या कहेंगे ? लेकिन जो लोग लंबे समय से चश्मा पहन रहे हैं, उनका कहना है कि उन्हें अब पता भी नहीं चलता कि चश्मा नाक पर टिका हुआ है अथवा जेब में रखा हुआ है।
————————————-
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

21 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
"कहानी अउ जवानी"
Dr. Kishan tandon kranti
उसकी सौंपी हुई हर निशानी याद है,
उसकी सौंपी हुई हर निशानी याद है,
Vishal babu (vishu)
अपनी मर्ज़ी
अपनी मर्ज़ी
Dr fauzia Naseem shad
जब तक प्रश्न को तुम ठीक से समझ नहीं पाओगे तब तक तुम्हारी बुद
जब तक प्रश्न को तुम ठीक से समझ नहीं पाओगे तब तक तुम्हारी बुद
Rj Anand Prajapati
वह नही समझ पायेगा कि
वह नही समझ पायेगा कि
Dheerja Sharma
"" *श्री गीता है एक महाकाव्य* ""
सुनीलानंद महंत
*मै भारत देश आजाद हां*
*मै भारत देश आजाद हां*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दान किसे
दान किसे
Sanjay ' शून्य'
कैसी
कैसी
manjula chauhan
लेके फिर अवतार ,आओ प्रिय गिरिधर।
लेके फिर अवतार ,आओ प्रिय गिरिधर।
Neelam Sharma
हो रही बरसात झमाझम....
हो रही बरसात झमाझम....
डॉ. दीपक मेवाती
राम से बड़ा राम का नाम
राम से बड़ा राम का नाम
Anil chobisa
मैं उन लोगो में से हूँ
मैं उन लोगो में से हूँ
Dr Manju Saini
विलीन
विलीन
sushil sarna
गलती अगर किए नहीं,
गलती अगर किए नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कलयुग और सतयुग
कलयुग और सतयुग
Mamta Rani
■ प्रणय_गीत:-
■ प्रणय_गीत:-
*प्रणय प्रभात*
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
सत्य कुमार प्रेमी
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
हाथ की लकीरों में फ़क़ीरी लिखी है वो कहते थे हमें
VINOD CHAUHAN
आप वक्त को थोड़ा वक्त दीजिए वह आपका वक्त बदल देगा ।।
आप वक्त को थोड़ा वक्त दीजिए वह आपका वक्त बदल देगा ।।
Lokesh Sharma
रमेशराज के नवगीत
रमेशराज के नवगीत
कवि रमेशराज
सफ़ारी सूट
सफ़ारी सूट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
फिर कब आएगी ...........
फिर कब आएगी ...........
SATPAL CHAUHAN
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
गोंडवाना गोटूल
गोंडवाना गोटूल
GOVIND UIKEY
जय श्री राम
जय श्री राम
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वो भी थी क्या मजे की ज़िंदगी, जो सफ़र में गुजर चले,
वो भी थी क्या मजे की ज़िंदगी, जो सफ़र में गुजर चले,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
राह मुश्किल हो चाहे आसां हो
राह मुश्किल हो चाहे आसां हो
Shweta Soni
मेरे पांच रोला छंद
मेरे पांच रोला छंद
Sushila joshi
3176.*पूर्णिका*
3176.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...