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8 Sep 2020 · 1 min read

नजर अपनी अपनी

सबकी सोच की अपनी कहानी
ग्लास आधा भरा है
या आधा खाली
सबके नजरिए की अपनी जुबानी ,

बेटी का दिल ससुराल में छलनी
तो बहुत बुरा लगता है
बहू का कभी सोचा ही नही
बहू पराई है बस बेटी अपनी ,

हर बात के सही गलत दो पहलू होते हैं
लेकिन हम सही को नकारते
अपने हिसाब से गलत को सकारते
और ऐसा कर हम सब अपना आपा खोते हैं ,

चलो गिरा दें इस गलत नजर के जहर को
मिटा दें हर एक सोच कलुष की
देखें बस हर बात को सही ढंग से
आओ बदल दें मिल कर ऐसी हर नजर को ।

स्वरचित , मौलिक एवं अप्रकाशित
( ममता सिंह देवा , 03/09/2020 )

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 320 Views
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