नजरिया
मेर कन कोन्या कुछ भी,
ठाकर सूं ….
इस देश में जिसके पास कुछ नहीं है ….
उनके पास ही सत्ता है !!
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वे गृहस्थी नहीं है,
उनके पास सैंकड़ों गृहस्थाश्रम के बिचौलियों के संगठन है,
जो उनके भोजन, आवास और वित्तीय सहायता करते हैं,
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उनके पास धर्म के नाम पर अंधविश्वास है, पाखंड है, गली सड़ी परम्परा, कुरीतियां है,
उनके पास आत्मविश्वास जैसा कुछ नहीं है,
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उनके पास साधना के नाम पर, विकृत मानसिकता वाले लोगों को आकर्षित करने की कला है,
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पुरूष के पास पुरूषार्थ के नाम पर मेहनत है, वह करके धन का उपार्जन करता है,
स्त्रियां पढ़ लिख कर भी “शॉर्टकट” रास्ता चुनती हैं,
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जिन लोगों ने उन्हें अबला कहा,
पतित और शूद्र कहा,
वे ही लोभ, प्रलोभन में आकर,
अपने आदमी को सुझाव देती है, उन तक ले जाने का काम करती हैं,
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ज्योतिष एक गणित है,
जो वर्तमान स्थिति के कारणों को खोज कर भविष्य को प्रदर्शित करती है,
वर्तमान की समस्या को देखकर, वर्तमान समय समाधान मनुष्य खुद होता है,
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चुगा चुगने वाली चिडिया नजर नहीं आती,
कीड़-नाल खुली जगह नजर नहीं आती,
चौगान, चौराहे व्यस्त हैं,
बंदर लड्डू नहीं खाते,
गाय चावल खीर नहीं खाती,
कुत्ते रोटी नहीं खाते,
डाकोत काले वस्त्र नहीं पहनते,
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जिनको मन में भ्रम है, चिंतित हैं, डरे हुए है, नींद नहीं आती, अत्यधिक गुस्सा आता है, हीन-भावनाओं से ग्रस्त हैं, नकारात्मक विचार आते हैं , उन्हें कॉउंसलिंग की जरूरत है,
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वे मनोरोग से ग्रस्त हैं,
वे मनोरोग चिकित्सक से मिले,
वे महापुरुषों के जीवन दर्शन का अध्ययन करें !!!
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इसमें नजरिया बदल कर ही !
आदमी सुखी हो सकता है !!!