नजराना
नजराना
तेरा यूं मंद मंद मुस्कराना जीना दुष्वार करता है
तेरा यूं हँस के शर्माना ईश्क ए इजहार करता है
तेरे अधरों की लालिमा धड़कने थाम दें दिल की
गुलाबी गोरे गोरे गाल दहकते हो अंगार सूरज के
तेरा सुन्दर हसीन मुखड़ा चमकता चाँद पूनम का
समाई सागर सी गहराई तेरी श्यामल आँखों में
दीदार ए हुस्न करने की मन जिद बार बार करता है
तेरा यूं हँस के शर्माना ईश्के ए इजहार करता है
कयामत ही झलकती है तेरी मदमस्त जवानी में
दीवानी मस्तानी लगती हैं अदाएँ तेरी जवानी की
उमड़ती छाती से रगड़ खाती चुनरी तेरे आँचल की
मखमली रेशम के धागे काली घटाओं से लम्बे बाल
तेरा इतराना नखरे दिखाना जीना हराम करता है
तेरा यूं हँस के शर्माना ईश्क ए इजहार करता है
तेरा यूं मंद मंद मुस्कराना जीना दुष्वार करता है
तेरा यू़ हँस के शर्माना ईश्क ए इजहार करता है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत