नजदीकियों ने हमे सजा दी है
नजदीकियों ने हमें सजा दी है
नीद रातों की उड़ा दी है
इससे तो फासले बेहतर थे
दर्द की हर जगह मुनादी है .
हमने प्यार के गम में होकर पागल
अपनी होशो हया भुला दी है ,
शौक बाँकी रहा न पीने का
उसने नजरों से जो पिलादी है
दिल है नजर है, लब है जुबान है
कुछ भी कहने को पर मनादी है
सोणिये देख तेरी मोहब्बत ने
मेरी हालत ये क्या बना दी है