“नग्नता, सुंदरता नहीं कुरूपता है ll
“नग्नता, सुंदरता नहीं कुरूपता है ll
मगर सादगी को कौन पूछता है ll
पाश्चात्य के पीछे भागने वालो,
सूर्य पश्चिम में ही तो डूबता है ll
ख्वाहिशों का न भरने वाला पेट भरने,
इंसान अपने सुकून का खून चूसता है ll
सच सब लुटाता है,
झूठ बस लूटता है ll
वर्तमान की आजकल किसको पड़ी है,
चिंता भविष्य की, और डर भूत का है ll”