नए साल की नए रोशनी….
नए साल की नए रोशनी….अरे….
वो तो है सदियों पुरानी,
श्रीरामजी जब विजय होकर आये ‘अवधपुरी’
वहाँ से प्रज्वलित हुई थी प्रकाशनी…
कितनी प्रचंड थी ज्योति वो,
सारे जहाँ में उज्वलता लाई,
अब तक प्रकासी रही पूरे जहाँ में,
ज्ञानबोध की गंगा जैसी पवित्र धारा सी…
सबको नहलातीं धोध के पावन प्रकाश में,
देती खुशियों भरी बौछार मोती स्वरूपी…
नया साल लाता उमंग उल्लास हर जन, हर घरमे,
सब संग अनोखा रंगीन त्यौहार मनाएं,
मिलने – जुलने की परंपरा को आगे बढ़ाते,
नफरतों को रिश्तो के धागोसे बांधे,
यकीन मानो ये है प्रभुजी का
सबको अमृत आशीर्वाद…..!!
सभीजनों अपने शीश पर धरलो,
कही ये छूट ना जाएँ….!!!!