*नए दौर में पत्नी बोली 【हास्य गीतिका】*
नए दौर में पत्नी बोली 【हास्य गीतिका】
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(1)
नए दौर में पत्नी बोली ,बनें फ्लैट सुखधाम
झाड़ू सुबह लगाए पत्नी ,पोछा पति हर शाम
(2)
पति-देवों की बढ़ी मुसीबत ,करना पड़ता काम
टाँगे फैलाकर अब घर में ,कब मिलता आराम
(3)
चाय बनाएँ आप टोस्ट मैं ,बढ़िया-बढ़िया सेंकूँ
मक्खन आप लगाएँ उन पर ,लेकर हरि का नाम
(4) .
आप कमाने का जिम्मा लें ,वेतन लेकर आएँ
मेरे जिम्मे खर्च जेब अब ,खाली करें तमाम
(5)
सीख रहे पतिदेव कुकर पर ,कैसे दाल चढ़ाते
पत्नी जी को गुरु माना है ,करते रोज प्रणाम
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451