नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के लागू होने से पुराने नियमों की खामियाँ दूर हुई है
नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के लागू होने से पुराने नियमों की खामियाँ दूर हुई है
(नये कानून के मुताबिक घटिया समान बेचने वालों को, गुमराह करने वाले विज्ञापन देने वालों को जेल की हवा खानी पड़ेगी.)
— —प्रियंका सौरभ
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 पहले के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की जगह, 20 जुलाई से लागू हो गया है। उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 को अगस्त 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। नये कानून के मुताबिक घटिया समान बेचने वालों को, गुमराह करने वाले विज्ञापन देने वालों को जेल की हवा खानी पड़ेगी. नए उपभोक्ता कानून के तहत अगर किसी उपभोक्ता की मौत हो जाए तो मुआवजे के तौर पर 10 लाख और 7 साल या आजीवन कारावास भी होने की संभावना है. देश में नए कानून के दायरे में ई-कॉमर्स कंपनियां भी शामिल की गई है.
उपभोक्ता कानून में ऐसी वस्तुओं की बिक्री और सेवाओं से बचाव होगा जिससे जीवन या संपत्ति को नुकसान हो सकता है, इसके साथ ही उपभोक्ता को सामान की गुणवत्ता क्षमता मात्रा शुद्धता कीमत और मानक के बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी. नए कानून के तहत भ्रामक विज्ञापन करने पर सेलिब्रिटी पर भी 10 लाख तक जुर्माना लगाने का प्रवाधान है वहीं कानून को लेकर केंद्र सरकार केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण का गठन करेगी, जिसके अधिकारी अनदेखी करने वालों और भ्रमित करने वाले विज्ञापन पर नजर रखेंगे.
एक उपभोक्ता को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो किसी भी अच्छे को खरीदता है या विचार के लिए किसी सेवा को प्राप्त करता है। इसमें एक व्यक्ति शामिल नहीं है जो पुनर्विक्रय के लिए एक अच्छा या वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए एक अच्छा या सेवा प्राप्त करता है। इसमें ऑफ़लाइन, और ऑनलाइन माध्यमों से इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों, टेलिसेपिंग, मल्टी-लेवल मार्केटिंग या डायरेक्ट सेलिंग के माध्यम से लेनदेन शामिल है। इस अधिनियम में उपभोक्ताओं के कई अधिकारों को स्पष्ट किया गया है. ऐसी वस्तुओं और सेवाओं की मार्केटिंग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना जो जीवन और संपत्ति के लिये जोखिमपूर्ण है।
वस्तुओं या सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मानक और मूल्य की जानकारी प्राप्त होना। प्रतिस्पर्द्धी मूल्य पर वस्तु और सेवा उपलब्ध कराने का आश्वासन प्राप्त होना, अनुचित या प्रतिबंधित व्यापार की स्थिति में मुआवजे की मांग करना आदि इन सबके अतिरिक्त केंद्र सरकार उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, उनकी रक्षा करने और उन्हें लागू करने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना करेगी। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण झूठे या भ्रामक विज्ञापन के लिये मैन्युफैक्चरर या एन्डोर्सर पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। दोबारा अपराध की स्थिति में यह जुर्माना 50 लाख रुपए तक बढ़ सकता है। मैन्युफैक्चरर को दो वर्ष तक की कैद की सजा भी हो सकती है जो हर बार अपराध करने पर पाँच वर्ष तक बढ़ सकती है।
जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों का गठन किया जाएगा। एक उपभोक्ता अनुचित और प्रतिबंधित तरीके से व्यापार,दोषपूर्ण वस्तु या सेवाएँ,अधिक कीमत वसूलना या गलत तरीके से कीमत वसूलना,ऐसी वस्तुओं या सेवाओं को बिक्री के लिये पेश करना जो जीवन और सुरक्षा के लिये जोखिमपूर्ण हो सकती हैं जैसी खामियों के लिए आयोग में शिकायत दर्ज करा सकता है. अनुचित कॉन्ट्रैक्ट के खिलाफ शिकायत केवल राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में फाइल की जा सकती है। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों के आदेश के खिलाफ राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में सुनवाई की जाएगी। राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में सुनवाई की जाएगी। अंतिम अपील का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को होगा।
ई-कॉमर्स पोर्टलों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत नियमों के तहत एक मजबूत उपभोक्ता निवारण तंत्र स्थापित करना होगा। उन्हें यह भी उल्लेख करना होगा कि उपभोक्ता को इसके प्लेटफॉर्म पर खरीद के पहले चरण में सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक है। ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को भी अड़तालीस घंटों के भीतर किसी भी उपभोक्ता शिकायत की प्राप्ति को स्वीकार करना होगा और इस अधिनियम के तहत प्राप्ति की तारीख से एक महीने के भीतर शिकायत का निवारण करना होगा। एक निर्माता या उत्पाद सेवा प्रदाता या उत्पाद विक्रेता को दोषपूर्ण उत्पाद या सेवाओं में कमी के कारण हुई क्षति या क्षति की भरपाई के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा
1986 की जगह नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के लागू होने से पुराने नियमों की खामियाँ निसंदेह दूर हुई हैं। नए कानून में जो समय की मांग के अनुसार बदलाव हुआ है वह यह है कि अब कहीं से भी उपभोक्ता शिकायत दर्ज कर सकता है। इससे पहले उपभोक्ता वहीं शिकायत दर्ज कर सकता था, जहाँ विक्रेता अपनी सेवाएँ देता है। आधुनिक युग में ई-कॉमर्स से बढ़ती खरीद को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। क्योंकि आज के विक्रेता किसी भी लोकेशन से अपनी सेवाएँ दे सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि उपभोक्ता को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये भी सुनवाई में शामिल होने की इजाजत है, जिससे पैसा और समय दोनों की बचत होगी। इस अधिनियम के लागू होने से उपभोक्ताओं को जहाँ तुरंत न्याय के अवसर प्राप्त होंगे वहीं बढ़े हुए अधिकारों और न्याय क्षेत्र के साथ यह नया कानून उपभोक्ताओं की शिकायतों का जल्द से जल्द निपटान करेगा।
—- —प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,