!!! नई दिशा !!!
अवैकल्पिक इस जीवन में
गाँठ बाँध ली हैं हमने ये मन में
उठकर चलना हैं अब
नएँ सवेरे इस जीवन के,
व्यर्थ न खोना समय यूँ ही
बस बैठ अश्रु बहाने में,
पग-पग बढ़कर ही लक्ष्य मिले,
बूँद-बूँद से सागर बने
छोटे-छोटे विषयो से ही अब
करना हैं उत्थान जन में
अवैकल्पिक इस …………..
गाँठ बाँध ली है …………….
धरती सहती भार सभी के
होकर आप अधीर भले,
खुद जलकर तम हरता हमेशा
निज तल दीया रखे अँधेरे,
श्रृंगार अनूठा करता उपवन की
मिलकर एक-एक सभी सुमन,
तरह-तरह के पेड़ खड़े होकर
देखो बना वन कैसा सघन,
लेकर अब यही गूढ़ रहस्य
चलना बहुत दूर लिए उमंग नएँ
अवैकल्पिक इस …………..
गाँठ बाँध ली है …………….