नई जिंदगानी
हर प्रभात इस विश्व के हयात में ,
नूतन जिंदगानी का आगमन होता ,
नव्य ऊर्जा, सामर्थ्य, उद्यम जगता ,
रोजाना मनुज को भुनाने का प्रसंग ,
सम्प्राप्ति मिथ्या प्रवृतियों को न्यास ,
नई जिंदगानी की शुरुआत करना है।
प्राची के आगमन के सहचारिता ,
नई जिंदगानी की रोचक गढ़तीं ,
एक नव राह अवलोकन करतीं ,
मंजिल को लहने का भी मनुज ,
उन्माद, सपना, दृढ संकल्प लिये ,
नई जिंदगानी की शरुआत करता।
विगत हुए अपराधों को निश्चेष्ठा ,
दोबारा न करना यही अपराध ,
अन्यथा यह अपराध ही अंत में ,
तरणियॉं तुम्हारी डुबाकर बैठेगी ,
अपनी निश्चेष्ठा को जल्द सुधार ,
नई जिंदगानी की शुरुआत करो।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या