नई एक कहानी बन !
यार तू जिगर एक आसमानी बन !
आंधी की ना बात कर तूफानी बन !!
क्यों जला रहा खुद से ही खुद को ,
अगर वो आग है तू तो पानी बन !
तुझे क्या हुआ जो उन्होंने भुला दिया,
तेरी याद सताए ऐसी निशानी बन !
वक़्त के साथ बदले,बदलेंगे रिश्ते ,
तेरे दिल में सदा रहे वो जवानी बन !
ग़ज़लें तो बहुत लिखी ग़ालिब ने भी ,
ये नया दौर है नई एक कहानी बन !
क्या कर लेगी ये पतझर सौरभ का,;;
बस सावन की फुहार मस्तानी बन !