ध्वजा प्रेम का ये बढ़ाते चलो
किसी को कभी भी रुलाना नहीं।
कभी यार रूठे मनाना वहीं।
हुई जो खता तो बताते चलो।
ध्वजा प्रेम का ये बढ़ाते चलो।
किसी को कभी भी रुलाना नहीं।
कभी यार रूठे मनाना वहीं।
हुई जो खता तो बताते चलो।
ध्वजा प्रेम का ये बढ़ाते चलो।