ध्रुव
राजा उत्तानपाद का, हैं सुत ध्रुव महान ।
सौतेली माँ सुरुचि ने, बहुत किया अपमान ।।
माता का आशीष ले, ध्रुव चला वन राह ।
छह माह कठिन तप किया, तब हुई पूर्ण चाह ।।
ईश्वर का यह वर मिला, नभ में पाना स्थान ।
उत्तर दिशा में रहना, बन सितारा महान ।।
।।जेपीएल।।