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24 Nov 2024 · 1 min read

ध्यान-रूप स्वरुप में जिनके, चिंतन चलता निरंतर;

ध्यान-रूप स्वरुप में जिनके, चिंतन चलता निरंतर;
सत्य अनादि शिव में बस रही सृष्टि पुलकित होकर।
काल के चक्र में जिनके जीवन बन रहा मिट रहा,
अंततः जब जीवात्मा पर नहीं रहा कोई ऋण शेष,
तब वह अपने धाम को चली और वही मिले महेश।

Language: Hindi
2 Likes · 8 Views
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