धोने से पाप नहीं धुलते।
धोने से पाप नहीं धुलते।
गंगा यमुना के संगम पर या गंगा सागर तट जाओ,
तन धोकर शुद्ध किया खुद को तुम अपने मन को बहलाओ,
इतनी आसानी से लेकिन जीवन के शाप नहीं मिटते,
धोने से पाप नहीं धुलते
जो भी करते उसकी कीमत आगे पीछे देनी पड़ती,
लेती है पूरा मूल्य नियति राजा हो रंक नहीं डरती,
ये वो ढेले हैं जो केवल आंसू से कभी नही घुलते,
धोने से पाप नहीं धुलते।
जो नियत वही हम करते हैं यदि इसपर हामी भरते हो,
तो फिर तुम जीवन में इतना क्यूं डरते और झिझकते हो,
यदि सच्चाई को अपनाते तो जलते और नहीं कुढ़ते,
धोने से पाप नहीं धुलते।
कुमार कलहंस।