धोखा
विधाता से वरदान स्वरूप मिला,
एक अनोखा रुप है जिंदगी,
जिंदगी में हमें धोखा,
अपनों से ही मिलती है,
न कि परायों से।
धोखा हमें तभी मिलती है,
जब हम किसी व्यक्ति पर,
करने लगते है अंधविश्वास,
जिंदगी में धोखा न पाना है,
तो अंधविश्वास करना छोड़ना होगा।
हम ऐसा सोचते है कि,
धोखा हमें बाहरी लोगों से मिलता है,
पर ये अधूरा सच है,
धोखा अपनों से ही मिलती हमें।
विश्वासघात वही करता है,
जिस पर हमें विश्वास हो,
भरोसा भी वही तोड़ता है,
जिस पर हमें भरोसा हो,
धोखा वही देता है,
जिस पर हमें अंधविश्वास हो।
लेखक :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार