धोखा
धोखा
धोखा कभी न दीजिए
धोखा दुख की खान
धोखा हृदय घाव दे
मर -मर मुकती जान।
धोखा अति कलंकित है
कभी न हो विश्वास
तिमिर जीवन बन जाए
कभी न हो प्रकाश।
तज धोखा संसार में
सद्गुण राह अपना
निस दिन परोपकार से
पुलकित जीवन बना।
स्वयं धोखा खाने पर
फुटती आंसू धार
हृदय खंडित टुकड़ों में
रुक-रुक चले कटार।
ललिता कश्यप गांव सायर
जिला बिलासपुर (हि० प्र०)