–धोखा–
कोई जल्दी से खा लेता है
किसी को देर से मिलता है
खा हर कोई लेता है, चाहे
कभी भी खा ले , यह धोखा
मीठे बनकर कोई लूट ले
बड़ा आसान है लूट जाना
विश्वाश एक चीज है ऐसी
जो बन जाती इस का गहना
धोखा देने वाला सच बात तो है
किसी लायक नहीं है होता
वो रास्ता खोजता है वक्त
पर कब दे दूं इस को धोखा
सामने वाला अनजान ही होता है
जब तक नहीं खा लेता वो धोखा
लूट जाने के बाद तक भी नहीं
सोचता क्या सच वो दे गया धोखा
राम भला करे उसका जिस ने
दिया वकत आने पर धोखा
समय पर छोड़ दो उस को
वो दिन आएगा उस भी ऐसा
जब मिलेगा उस को कहीं से धोखा
अजीत कुमार तलवार
मेरठ