Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2020 · 2 min read

धैर्य! नहीं दिखाया?

धैर्य नहीं दिखाया
,*******””******,
यह बयान आज आया,
अपने देश के श्रमिकों ने,
धैर्य नहीं दिखाया,
कृषि मंत्री ने बताया।

एक तरह से उन्होंने,
यह ठीक ही कहा है,
जब लौकडाऊन लगा है,
तब बाहर निकलना मना है।

इतने कहने के बाद भी,
यह बाहर निकल कर आए,
लौकडाऊन का पालन,
यह लोग नहीं कर पाए।

फिर भी हमने इनको,
बार बार समझाया,
जहां कहीं भी तुम हो,
वहीं-कहीं रुक जाओ।

पर इन्होंने तो जैसे,
कसम ही खा ली थी,
सड़कों पर निकलेंगे,
ये जितना हमें रोकेंगे।

हमने तब भी इनका,
इतना ख्याल रखा है,
सड़कों से निकलने पर,
पुरा प्रतिबंध लगा रखा है।

यह तब भी नहीं माने,
अब पटडी पर लगे थे आने,
हुई थोड़ी सी लापरवाही,
चली गई सोलह जानें।

इनकी हठधर्मिता ने,
परेशान बहुत किया है,
पैदल चलना, साईकिल पर चलना,
टैम्पो, और ट्रकों पर बैठ कर निकलना।

हमने यह सब कुछ यूं ही बर्दाश्त किया है,
टी वी, और अखबारों पर खुब शोर मचा है,
प्रतिपक्ष के लोगों ने, इस पर कितना विरोध किया है,
हमने यह सब कुछ शांत भाव से सहा है।

बात नहीं मानी है,देखो तो,
इन्होंने इतनी सी बात हमारी,
इक्कीस दिन की ही तो,
पहली मियाद थी हमारी।

यही तो कह रहे थे,
प्रधानमंत्री जी हमारे,
रुके रहो वहीं पर,
जहां पर ठिकाने हैं तुम्हारे।

पर देश के प्रधानमंत्री जी की ,
बात ना तुमने मानी,
अब उठा रहे हो,
कदम कदम पर हानि।

प्रधानमंत्री जी सहृदय हैं,
उन्होंने, रेलों का इंतजाम किया,
श्रमिक ट्रेन चलवाई,
अपने अपने राज्यों में,
भिजवाने का प्रोग्राम किया।

इतना कुछ करने पर भी,
लोग उंगली उठा रहे हैं,
बात,बेबात पर , यों ही,
बदनाम हमें किए जा रहे हैं।

हमने तो धैर्य दिखाया है,
इक्कीस दिन में जब यह खत्म न हुआ,
तो उन्नीस दिन और बढाया है,
जब इतने से भी काम ना हुआ,
तो दिन चौदह और बढ़ाए थे,
लेकिन सारा किया धरा बेकार कर दिया,
तो हमको भी चौथा लौकडाउन और बढ़ाना पड गया।

इस प्रकार हमने चार बार इसे बढ़ाया है,
हर कोई इंसान बचा रहे, संक्रमण से,
इसका भी बोध हमने कराया है,
लेकिन इन आने-जाने वालों ने,
सत्यानाश कराया है।

इतना करने पर भी,
दोषी हम हैं, कहा जा रहा है,
और जो आ-जा रहे हैं, लगातार,
उन्हें अब भी निर्दोष ही ठहराया जा रहा है।

यह तो एक पक्षीय वाद है
यह प्रतिपक्षियों का बनाया विवाद है,
ईश्वर साक्षी है,
यह विरोधियों का थोपा हुआ प्रतिवाद है,
अब हमने इसको भी बदल दिया है,
लौकडाऊन को अनलॉक कर दिया है,
हम तो आज भी धैर्य दिखा रहे हैं,
लेकिन लोग हैं कि उतावले हुए जा रहे हैं।।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 282 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
sushil sarna
🙅छुटभैयों की चांदी🙅
🙅छुटभैयों की चांदी🙅
*प्रणय*
सत्य, अहिंसा, त्याग, तप, दान, दया की खान।
सत्य, अहिंसा, त्याग, तप, दान, दया की खान।
जगदीश शर्मा सहज
प्रदूषण-जमघट।
प्रदूषण-जमघट।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
राही
राही
Neeraj Agarwal
you don’t need a certain number of friends, you just need a
you don’t need a certain number of friends, you just need a
पूर्वार्थ
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
শিবকে নিয়ে লেখা কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
Suryakant Dwivedi
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
Jogendar singh
"जख्म की गहराई"
Yogendra Chaturwedi
4392.*पूर्णिका*
4392.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिल की हरकते दिल ही जाने,
दिल की हरकते दिल ही जाने,
Lakhan Yadav
रामायण सार 👏
रामायण सार 👏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जीवन चक्र
जीवन चक्र
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
सबने हाथ भी छोड़ दिया
सबने हाथ भी छोड़ दिया
Shweta Soni
"असलियत"
Dr. Kishan tandon kranti
धर्म पर हंसते ही हो या फिर धर्म का सार भी जानते हो,
धर्म पर हंसते ही हो या फिर धर्म का सार भी जानते हो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
Sonam Puneet Dubey
सवालात कितने हैं
सवालात कितने हैं
Dr fauzia Naseem shad
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
चित्रगुप्त का जगत भ्रमण....!
चित्रगुप्त का जगत भ्रमण....!
VEDANTA PATEL
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
निभाना नही आया
निभाना नही आया
Anil chobisa
*हमने एक पतंग उड़ाई (बाल कविता)*
*हमने एक पतंग उड़ाई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
सावन
सावन
Dr Archana Gupta
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*गैरों सी! रह गई है यादें*
*गैरों सी! रह गई है यादें*
Harminder Kaur
लगाकर तू दिल किसी से
लगाकर तू दिल किसी से
gurudeenverma198
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
Ranjeet kumar patre
Loading...