धैर्य! नहीं दिखाया?
धैर्य नहीं दिखाया
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यह बयान आज आया,
अपने देश के श्रमिकों ने,
धैर्य नहीं दिखाया,
कृषि मंत्री ने बताया।
एक तरह से उन्होंने,
यह ठीक ही कहा है,
जब लौकडाऊन लगा है,
तब बाहर निकलना मना है।
इतने कहने के बाद भी,
यह बाहर निकल कर आए,
लौकडाऊन का पालन,
यह लोग नहीं कर पाए।
फिर भी हमने इनको,
बार बार समझाया,
जहां कहीं भी तुम हो,
वहीं-कहीं रुक जाओ।
पर इन्होंने तो जैसे,
कसम ही खा ली थी,
सड़कों पर निकलेंगे,
ये जितना हमें रोकेंगे।
हमने तब भी इनका,
इतना ख्याल रखा है,
सड़कों से निकलने पर,
पुरा प्रतिबंध लगा रखा है।
यह तब भी नहीं माने,
अब पटडी पर लगे थे आने,
हुई थोड़ी सी लापरवाही,
चली गई सोलह जानें।
इनकी हठधर्मिता ने,
परेशान बहुत किया है,
पैदल चलना, साईकिल पर चलना,
टैम्पो, और ट्रकों पर बैठ कर निकलना।
हमने यह सब कुछ यूं ही बर्दाश्त किया है,
टी वी, और अखबारों पर खुब शोर मचा है,
प्रतिपक्ष के लोगों ने, इस पर कितना विरोध किया है,
हमने यह सब कुछ शांत भाव से सहा है।
बात नहीं मानी है,देखो तो,
इन्होंने इतनी सी बात हमारी,
इक्कीस दिन की ही तो,
पहली मियाद थी हमारी।
यही तो कह रहे थे,
प्रधानमंत्री जी हमारे,
रुके रहो वहीं पर,
जहां पर ठिकाने हैं तुम्हारे।
पर देश के प्रधानमंत्री जी की ,
बात ना तुमने मानी,
अब उठा रहे हो,
कदम कदम पर हानि।
प्रधानमंत्री जी सहृदय हैं,
उन्होंने, रेलों का इंतजाम किया,
श्रमिक ट्रेन चलवाई,
अपने अपने राज्यों में,
भिजवाने का प्रोग्राम किया।
इतना कुछ करने पर भी,
लोग उंगली उठा रहे हैं,
बात,बेबात पर , यों ही,
बदनाम हमें किए जा रहे हैं।
हमने तो धैर्य दिखाया है,
इक्कीस दिन में जब यह खत्म न हुआ,
तो उन्नीस दिन और बढाया है,
जब इतने से भी काम ना हुआ,
तो दिन चौदह और बढ़ाए थे,
लेकिन सारा किया धरा बेकार कर दिया,
तो हमको भी चौथा लौकडाउन और बढ़ाना पड गया।
इस प्रकार हमने चार बार इसे बढ़ाया है,
हर कोई इंसान बचा रहे, संक्रमण से,
इसका भी बोध हमने कराया है,
लेकिन इन आने-जाने वालों ने,
सत्यानाश कराया है।
इतना करने पर भी,
दोषी हम हैं, कहा जा रहा है,
और जो आ-जा रहे हैं, लगातार,
उन्हें अब भी निर्दोष ही ठहराया जा रहा है।
यह तो एक पक्षीय वाद है
यह प्रतिपक्षियों का बनाया विवाद है,
ईश्वर साक्षी है,
यह विरोधियों का थोपा हुआ प्रतिवाद है,
अब हमने इसको भी बदल दिया है,
लौकडाऊन को अनलॉक कर दिया है,
हम तो आज भी धैर्य दिखा रहे हैं,
लेकिन लोग हैं कि उतावले हुए जा रहे हैं।।