धैर्य, संयम, धीरज
राह मे जो काँटे हैँ, वो भी कलको फूल बनेंगे //
वाणी मे जो संयम हैँ, वो भी कभी सूल बनेंगे //
चुभ रही हैँ जो जिन्दगी, आज काँटों की तरह //
लग रही हैँ जो अब, पड़ रहे चांटो की तरह //
धैर्य, संयम की शक्ति को पहचानना, अभी जरूरी हैँ //
क्या कमी रह गई आगे बढ़ने मे, उसे जानना जरूरी हैँ //
चाहे लाख आये कठिनाई, आगे बढ़ने के लिए //
रखना थोड़ा धीरज, निरंतर चलने के लिए //
:~कविराज श्रेयस सारीवान