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22 Jan 2024 · 1 min read

घर नही है गांव में

धूप में जले पांव
मांगते हैं छांव
जाना चाहते हैं गांव
पर दर नही है गांव में
जमी नहीं है गांव में
कमी नहीं है कोई भी
बस घर नही है गांव में..

पास ही है गांव तो
एक नही है तो दो
चाहने वाले है सब
जानने वाले है सब
है सभी कुछ किंतु बंधु
बसर नही है गांव में
डगर तो बहुत सी है
बस घर नहीं है गांव में

पांव जम पाते नही
रिश्तों के घर
किश्तों के घर
आकर बाहर
ढूंढते है ,अपना घर
अपना घर
अपने खेत
कोई नही है गांव में
मंजिले तो खूब हैं
सफर नहीं है गांव में
कसर नही है कोई भी
बस घर नही है गांव में

✍️ प्रिया मैथिल

Language: Hindi
2 Likes · 178 Views
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