धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
मंजिल को पाने निकले तो राहों की जरूरत होती है
शहरों में हमने संस्कारों के बीज पनपते नहीं देखे,
बच्चे जब मर्यादा लांगे तो गांव की जरूरत होती है
☑️✍️Deepak saral